• SCHOOL CODE 84-1330
  • SCHOOL CODE 09650819602
  • हाईस्कूल मान्यता का वर्ष- 2000
  • इण्टरमीडिएट मान्यता का वर्ष- 2006
  • विद्यालय का प्रकार- वित्तविहीन
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् -(UPMSP)

प्रधानाचार्य की कलम से

श्री रामबदन इण्टर कालेज,बडहरा तुरना गाजीपुर

शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य बालक का सर्वागीण विकास करना होता है | वस्तुतः शिक्षा का उद्देश्य असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से अमृत्व की ओर ले जाना होता है | शिक्षा के इस पावन उद्देश्य की पूर्ति हेतु विद्यालय परिवार की एक व्यापक अवधारणा है | छात्र शिक्षक अभिभावक समाज इस परिवार के अंगभूत है |

विद्यालय परिवार का उद्देश्य विद्यार्थियों की एक ऐसी सुसंस्कृत मालिका का निर्माण कराना है जो पाश्चात्य प्रभाव से दूर रहकर भारतीय संस्कृति की गरिमामय अनुभूति के वातावरण में अपने व्यक्तित्व के सभी पक्षों (शारीरिक, मानसिक, नैतिक, आध्यात्मिक, एवं सामाजिक) का विकास कर सके | यही सर्वांगीण विकास की मालिका है जो पाश्चात्य दुष्प्रभावों से दूर रहकर नवीनतम वैज्ञानिक दृष्टिकोण का सृजन कर सके एवं वर्तमान की चुनौतियों का सामना करते हुए भविष्य के प्रति दूरदर्शिता का परिचय देते हुए आत्मिक विकास कर सके तथा अपने देश की सांस्कृतिक समरसता मैं पोषित होकर स्वराष्ट्र प्रेम एवं स्वाबलंबन की भावना का विकास कर सके | यही हमारे विद्यालय परिवार का मुख्य उद्देश्य है |

इन सबकी प्रतिपूर्ति हेतु छात्रों की सर्वांगीण विकास की दृष्टि से हमारे विद्यालय में पंचमुखी शिक्षा प्रणाली की व्यवस्था संचालित है | बालकों के शारीरिक विकास हेतु विद्यालय में विविध प्रकार के व्यायाम, योग-योगासन, प्राणायाम, खेल जैसे खो-खो, वालीबॉल, बैडमिंटन आदि की व्यवस्था है | छात्रों में ममत्व की भावना, कल्पना, विश्लेषण, संश्लेषण, तुलना, निर्णय स्मृति, निरीक्षण, निष्कर्ष आदि मानसिक शक्तियों विकास मनोवैज्ञानिक शिक्षण विधि से कराया जाता है| श्रम के प्रति श्रद्धा एवं स्वावलंबन की प्रवृत्ति का विकास करने के लिए छात्रों की सृजनशीलता, कलात्मकता का विकास करने की दृष्टि से चित्रकला, पुस्तक कला, शिल्पकला, छायाचित्रकारी, शुभकामनायमक विभिन्न प्रकार प्रकार की सजावट की वस्तुओं का निर्माण कराया जाता है | इस दिशा में इंटरमीडिएट कक्षाओं में व्यावसायिक शिक्षा की मान्यता हेतु प्रयासरत है|

छात्रों में सामाजिकता का भाव, शील, सदाचार, परोपकार, शिष्टाचार, कर्तव्य निष्ठा, स्वदेश-प्रेम, सत्यवादिता, अनुशासन आदि नैतिक गुणों का संवर्धन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, महापुरुषों की जयंतीयों, बोध-कथाओं, प्रेरक-प्रसंगों आदि के माध्यम से किया जाता है| भारतीय जीवन दर्शन का आधार अध्यात्मिकता है जिसके अनुशीलन से परम सत्ता का आभास होता है| इसकी अनुभूति मनुष्य को अध्यात्मिक आनंद के क्षेत्र में व्यवस्थित करती है ऐसी अनुभूति के लिए वंदना, भक्ति, महापुरुषों के जीवन-वृत्त, गीत, ध्यान आदि की व्यवस्था है इससे छात्र का आध्यात्मिक विकास भी हो सके|

छात्र प्रत्येक विषय का सैद्धांतिक वह व्यवहारिक ज्ञान सुनियोजित ढंग से प्राप्त कर सके, इसके लिए हमारे विद्यालय में पंचपदी शिक्षण पद्धति संचालित है जिसके अंतर्गत विभिन्न शिक्षण-पद्धतियों को अपनाते हुए निर्धारित विषय-वस्तु को छात्रों के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है ताकि उस विषय-वस्तु को छात्र आसानी से आत्मसात कर सकें| इसके पश्चात अध्यापित विषय-वस्तु का उसी समय अभ्यास कराया जाता है जो लिखित, मौखिक या प्रायोगिक रहता है | इसके अतिरिक्त प्रोजेक्ट वर्क भी कराया जाता है| पठित-वस्तु के पर्याप्त ज्ञान हेतु छात्रों को अभ्यास कार्य, गृह कार्य दिया जाता है जिसका सम्यक् निरीक्षण एवं मूल्यांकन किया जाता है| विभिन्न विषयों से संबंधित विविध पाठ्य सहगामी क्रियाओं का आयोजन किया जाता है व क्रिया आधारित शिक्षा पर विशेष बल दिया जाता है| इसके साथ ही छात्रों के बहुमुखी ज्ञान के संवर्धन एवं विकास हेतु अनेक संबंधित पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन कराया जाता है|

इस प्रकार छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु विद्यालय परिवार प्रधानाचार्य एवं सुयोग्य शिक्षक संलग्न है जो मनसा, वाचा, कर्मणा छात्रों के विकास हेतु प्रयत्नशील है| विद्यालय में पारदर्शी परीक्षा-प्रणाली भी विकसित है तो छात्रों को एक समुचित दिशा की ओर ले जाती है|

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रामबच्चन सिंह यादव

प्रधानाचार्य